Friday, November 19, 2010

ऐसी होती है बेटिया

देखता था तुझे मैं अब तक कल्पनाओं
में हँसती-इठलाती
नन्हें कदमों से चलती,
गिर जाती
किन्तु आज तूने पाया है आकार
मेरी कल्पनायें हुयी साकार
बेटी! तेरी इस मुस्कान ने
मेरी सारी पीड़ा हर ली
दिया मुझे नया जीवन
मेरी दुनिया रोशन कर दी
आ छुपा लूँ तुझे अपनी बाँहों में
चलना सिखलाऊँ जीवन की राहों में

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