Friday, November 19, 2010

यादों की थाह


एक पल मे बांटती है हजारों खुशियाँ,
तो नम करती हैं आँखे उसी एक पल में।
थाह नहीं यादों की,अथाह है ये यादें,
हर मोड़ पे जीवन के,बहुत कुछ देती हैं कभी,
तो बहुत कुछ ले भी लेती है यादें,
यूँ तो सफ़र बढ़ता है आगे,
अनगिनत पल छोड़ देता है पीछे,
मोल नहीं इन यादों का,
अनमोल है यादें,
यही है जो बांधे रखतें हैं,
जीवन के उस छोर से,
जिसे छोड़ आगे बढ़ जाते है हम...........

ऐसी होती है बेटिया

देखता था तुझे मैं अब तक कल्पनाओं
में हँसती-इठलाती
नन्हें कदमों से चलती,
गिर जाती
किन्तु आज तूने पाया है आकार
मेरी कल्पनायें हुयी साकार
बेटी! तेरी इस मुस्कान ने
मेरी सारी पीड़ा हर ली
दिया मुझे नया जीवन
मेरी दुनिया रोशन कर दी
आ छुपा लूँ तुझे अपनी बाँहों में
चलना सिखलाऊँ जीवन की राहों में