Thursday, March 12, 2009






तुम्हारा अहसास सिर्फ़ इतना
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नहीं कहेंगे हम कि आप याद आ गए
वोह लम्हा बना ही नहीं जो आपको भुला दे
देखते हैं झाँक कर जब अपने दिल के आईने में
सिर्फ़ एक ही अक्स नजर आय दूर दूर तक जमाने में
आप दूर हैं पर आपकी याद हर पल साथ है
इस सन्नाटे में भी हर पल आपकी आवाज़ है
पढ जाते है अकेले जब कभी इस जहाँ की भीड में
तो आ जाता आपका आँचल हमारे हाथ है
आपकी आप जाने हमे तो हर पल आपके होने का एहसास है
इन् चलती हुई साँसों में कहीं आपके कदमों की आवाज़ है
कभी पलट कर देख लो ,तो आये दिल में करार है
वक्त थम जाए अगर तो कह दें हमको तुमसे प्यार है
पलट के तुम देखो जो मूड कर चल दिए हों कहीं
हम तो आँखें बिछाये करते आपका इन्तेज़ार हैं
जो कहते हैं हम उसका स्त्रोत्र आपके पास है
सूरज हो आप और इस वीराने को इसका एहसास है
प्यार करते हैं आपसे बस और कुछ नहीं इस जिंदगी में खास है
तुम हो तो दिन है नहीं तो काली स्याह अंधेरे से भरी रात है
शायद आपके दिल को भी इतना तो आभास है.

अभिव्यक्ति


मेरी अभिव्यक्ति

मुझे अपनी बात को व्यक्त करना तो नहीं आता, लेकिन कभी-२ अपनी भावनायों को मूर्त रूप देना भी अच्छा लगता है क्यों की हर इन्सान की जिंदगी में ख़ुशी का एक पल होता है , और उस पल में वो हर पल की ख़ुशी की अनुभूति चाहता है क्यूँ कि ख़ुशी कि अभिव्यक्ति के लिए कोई शब्द नहीं होता ये सिर्फ भावनायों कि अभिव्यक्ति को मूर्तरूप में अहसास करने का अनुभव है हर इंसान को ख़ुशी मिलती हैं लेकिन ख़ुशी देने वाले नहीं ,क्यूँ कि दूसरो को खुश देखना बहुत अच्छा लगता है ,लेकिन वो किस वजह से खुश है इसका अहसास जब तक नहीं होगा तब तक कोई भी इंसान किसी की ख़ुशी का सही आंकलन नहीं कर सकता है किसी को दिल से मन से अंदर से समझना हर किसी के बस की बात भी नहीं होती है क्यूँ कि मन को कभी-२ सही और गलत में फर्क नज़र नहीं आता है क्यूकि कभी-२ दिल, मन की बात को नहीं नकार पाता है इसलिए सचाई का आंकलन नहीं हो पाता है मैंने अपनी छोटी जिंदगी के सफ़र में इस बात का हमेशा बहुत ख्याल रखा कि जब भी किसी से मिलो तो स्वार्थ के लिए ना मिलो,क्यूँ कि स्वार्थ जिसदिन आगे आएगा उस दिन वो रिश्ता बिखरने लगेगा , और आप उसको रोक नहीं पयोगे ,क्यों कि स्वार्थ सिर्फ अपना हित चाहता है और एक अच्छा रिश्ता दोनों का हित . बल्कि इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि में अगले को कितना खुश रख पाता हूँ जो अपने हाथ में हैं , कभी शांत मन से सोचो कि जिंदगी है किया …….??? , और हम किया हैं ……………..??? और क्यों हैं और कब तक..............................???? तो खुद-ब्-खुद जबाब मिल जायेगा , एक समय होता है जब हमारे साथ लोग जुड़ते हैं और स्थिति और परिस्थिति जुड़ती और उस समय अगर हम सही लोगों का चयन करते है , तो जिंदगी का अलग रंग होत और अगर गलत चयन हो जाता है , तो हर ख़ुशी का रंग फीका दिखता है उस समय हम या तो अपने को उसके अनुकूल ढाल लेते हैं या उसको अपने अनुकूल ढलने कि कोशिश करते हैं कभी-२ इनके विपरीत भी परिश्थितियाँ होती हैं कि ना समय साथ देता है और नहीं वो रिश्ता और वो निर्णायक समय होता है कि हम किया करें और कैसे , और इसका नतीजा किया होगा ,उसी समय शांत मन से सोचो , तो दिल एक जबाब देता है “ अगर में नहीं तो कुछ भी नहीं “ अगर में हूँ तो दुनिया है लोग हैं और वो सब कुछ है जो मेरी ख़ुशी है ,लोग गलत नहीं होते कुछ लोग गलत होते हैं कभी सोच के देखो अपना मन, अगर बहुत खुश होता है अपने चारों तरफ खुशियाँ नज़र आती है,और लगता है दुनिया में शुख के सिवाय कुछ है नहीं , कोई बुरा विचार मन में आता ही नहीं ये सबकी जिंदगी का एक हिसा होता कोई भी व्यक्ति इससे अछूता नहीं होता ,बस कोई कम तो कोई जायदा मेरा अपना मानना है ,कि इंसान अकेला आया है ,और उसके आने के बाद बहुत लोग उसको मिलते हैं और बिछड़ जाते हैं यहाँ तक कि जो माँ -बाप उसको पैदा करते हैं एक समय आता है कि वो भी उनको छोड़ देते हैं रह गए ना हम अकेले लेकिन जिंदगी का नाम जीना हैं क्यूँ कि मौत अपने हाथ में नहीं होती हैं जिस दिन हमारी समझ में ये आ जायेगा कि जिंदगी अकेले जीने का नाम है उस दिन अन्दर कि ताकत चार गुना बाद जायेगी क्यूँ कि हम दूसरों पर निर्भर रहकर अपने को कमजोर करते हैं इसलिए हमेशा मन को ख़ुशी कि तलाश करनी चाहिए और वो ख़ुशी जिसमे स्वार्थ कि महक न हो ,सिर्फ अपनापन ,एक सुखद अहसास और बहुत सारा प्यार ख़ुशी के पल चाँद ही सही ,लेकिन उनकी महक ऐसी हो कि मन को हर पल तारो -ताजा रखे और ये एक अच्छा आभास बना रहे कि अपने पास भी कोई ऐसी निधि हैं एक किसी के पास नहीं और मन भावों से इतना भरा हो,कि और कुछ सोचने के लिए कुछ ना हो , सिर्फ चारों तरफ खुशियों कि महक ....................................
{{ ये मेरे विचार थे आपके विचारों की प्रतिक्षा में आपका अपना }}