Monday, July 20, 2009

चाहत के रिश्तो का काश कोई नाम होता'




चाहत के रिश्तो का काश कोई नाम होता'
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चाहत के रिश्तो का काश कोई नाम होता'

यादों के लिए काश कोई घरोंदा होता ,

कुछ जज्बात सिमटे हुए ,कुछ अहसास दबे हुए ,
कुछ बातें अनकही ,और पलकें भीगी हुई ,
अनजाने में ये ख्याल सा आये
काश इन आंसुओं का कोई कदरदार होता
खामोशी की ये आहट ,तन्हाई की ये दस्तक
कभी लगती है अजनवी ,कभी लगती है जानी पहचानी
यू ही दिल पर ये बेचैनी छाये
काश जिंदगी का कोई हक़दार होता